जुमें का ख़ास वज़ीफ़ा | हर काम फ़ौरन बनेगा | Jume Ka Wazifa | Jume Ki Dua | Jumma Mubarak |Wazifa Power

  1. दोस्तों! सबसे पहले आप तमाम ईमानदार मुसलमानों को जुमे मुबारक का दिल की गहराई से तोहफा!
    ये दिन रहमतों, बरकतों और मग़फिरत का दिन है।
  2. बहुत से लोग मायूस हो जाते हैं ये सोचकर कि उनकी कोई भी दुआ कबूल नहीं होती…
    लेकिन हक़ीक़त ये है कि अल्लाह तआला हर दुआ को सुनता है — बस उसका जवाब उसकी मसलिहत और हिकमत के मुताबिक देता है।
  3. अल्लाह क़ुरआन में इरशाद फरमाता है:

“उद’उनी अस्तजिब लकुम…”
“तुम मुझे पुकारो, मैं तुम्हारी पुकार को कबूल करूंगा।”
(सूरह ग़ाफ़िर, आयत 60)

  1. आज हम आपको जुमे के दिन का एक ऐसा ताक़तवर वज़ीफ़ा बताने जा रहे हैं,
    जो हर तरह की तंगी, परेशानी और दुख-दर्द को दूर करने वाला है।
  2. यह वज़ीफ़ा हज़ारों लोगों ने आजमाया है — और सिर्फ एक बार पढ़ने पर भी, अगर दिल से दुआ की जाए…
    तो अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त अपने खज़ानों से अता फरमाता है।
  3. जो भी शख़्स इस वज़ीफ़े को जुमे के दिन में सिर्फ एक बार इख़्लास से पढ़ ले और फिर जो चाहे मांगे…
    तो अल्लाह उसे ऐसा अता करता है कि वह खुद हैरान रह जाता है।

  1. अगर आप चाहते हैं कि आपकी दुआ जल्द कबूल हो…
    तो जुमे के दिन का यह वज़ीफ़ा आपके लिए एक बड़ा ही बेहतरीन तोहफ़ा है।
  2. यह वज़ीफ़ा दुआ की कुबूलियत का दरवाज़ा खोल देता है।
    सिर्फ 2 से 3 मिनट लगते हैं, लेकिन असर ऐसा होता है जो ज़िंदगी बदल देता है।
  3. जिन्हें लगता है कि उनकी दुआ कभी पूरी नहीं होती…
    वो इस वज़ीफ़े को जुमे के दिन जरूर पढ़ें — इंशा’अल्लाह रिज़्क़, शिफ़ा, मोहब्बत, नौकरी, शादी — जो भी माँगेंगे, मिलेगा।
  4. यह वज़ीफ़ा सिर्फ एक ज़रूरत नहीं, बल्कि एक मौका है — अपने रब से वो सब पाने का, जो दिल में है।
    पुरानी से पुरानी हाजत, अधूरी से अधूरी ख्वाहिश — सबको पूरा कराने का जरिया बनता है ये अमल।
  5. अल्लाह तआला अपने बंदों की हर बात सुनता है, लेकिन जुमे के दिन की दुआ में एक ख़ास असर होता है।
    यही वजह है कि जुमे को ‘ईदुल-मुस्लेमीन’ भी कहा गया है — यानी मुसलमानों की ईद।
  6. तो याद रखिए, ये वज़ीफ़ा सिर्फ पढ़िए मत — दिल से यकीन के साथ पढ़िए…
    इंशा’अल्लाह अल्लाह वही देगा जो आपने कभी सोचा भी नहीं होगा।

नेक नीयत से शेयर करने की दावत

  1. जुमे का ये मुक़द्दस दिन है…
    और इस दिन की हर नेक बात, हर नेक नीयत — सवाब बन जाती है।
  2. अगर आपको इस वीडियो की बात अच्छी लगे…
    तो दिल से एक ‘लाइक’ ज़रूर कर दीजिए — ये आपके इमान की ताईद होगी।
  3. और हां! इस वीडियो को अपने घरवालों, रिश्तेदारों और हर मुसलमान भाई-बहन तक पहुंचाइए…
    ताकि हर कोई इस वज़ीफ़े से फायदा उठा सके।
  4. क्योंकि रसूलअल्लाह ﷺ ने फरमाया:

“जिसने किसी भलाई की तरफ रहनुमाई की, उसे उतना ही सवाब मिलेगा जितना उस पर अमल करने वाले को मिलेगा।”
(सहीह मुस्लिम, हदीस 1893)

  1. तो आइए इस वीडियो को शेयर करके सवाब की नीयत से एक नेक सवाबदार काम कर लें।
    हो सकता है किसी की ज़िंदगी इसी के जरिए बदल जाए — और उसका सवाब आपके नाम लिखा जाए।

अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की शान बयान करना — ये खुद अल्लाह को बहुत पसंद है।
और जो शख़्स अल्लाह के तख़्त की अज़मत का बयान करता है, अल्लाह उसे अपने करम से नवाज़ता है।

  1. आज जो वज़ीफ़ा हम जुमे के दिन आपके साथ शेयर करने जा रहे हैं,
    ये सिर्फ अल्फ़ाज़ नहीं — ये उस ज़रिए की तरह है जिससे आपकी ज़रूरत का रास्ता खुलने लगता है, इंशा’अल्लाह।
  2. कई लोग खुद को बदक़िस्मत समझ लेते हैं —
    लेकिन इस्लाम हमें सिखाता है कि कोई भी बंदा तक़दीर का मारा नहीं होता, जब तक उसका यकीन ज़िंदा हो।
  3. अल्लाह तआला हर उस दिल की आवाज़ सुनता है जो सच्चे दिल से पुकारता है।
    वो जानते हैं किसे कब, क्या और कितना देना है — क्योंकि वही है

“रब्बुकुल अ़लीमुल हकीम” — यानी “हर चीज़ को जानने वाला और बेहद हिकमत वाला।”

  1. तो मायूसी को अपने दिल से निकाल दो।
    और यकीन के साथ इस वज़ीफ़े को पढ़ो — इंशा’अल्लाह तुम्हारी ज़रूरतें भी पूरी होंगी, और रास्ते भी नज़र आने लगेंगे।

🎙️ वज़ीफ़ा कब और कैसे करना है?

  1. सबसे पहला सवाल अक्सर लोगों के दिल में यही आता है —
    जुमे के दिन इस वज़ीफ़े को कब करना है?
  2. तो सुनिए प्यारे अज़ीज़ दोस्तों!
    आप इस वज़ीफ़े को जुमे की नमाज़ अदा करने के बाद किसी भी वक्त पढ़ सकते हैं — लेकिन…
  3. सबसे बेहतरीन वक़्त वह होता है जब सूरज डूबने से पहले की घड़ियाँ हों,
    यानी मग़रिब की अज़ान से पहले तक इसे मुकम्मल कर लीजिए।
  4. एक और मुबारक वक़्त है:
    अस्र की नमाज़ के बाद का वक़्त।
    रसूलअल्लाह ﷺ ने इशारा किया कि इस वक़्त की दुआ कभी खाली नहीं लौटती।
  5. इसलिए अगर आप चाहें, तो असर के बाद भी इस अमल को कर सकते हैं — यकीन और सुकून के साथ।
  6. अब सवाल ये है कि करना कैसे है?
    तो जब भी आप ये वज़ीफ़ा करें, ख़ामोशी से, तन्हाई में, पूरे तवज्जोह के साथ बैठ जाएं।
  7. वज़ीफ़े के दौरान किसी से कोई बातचीत न करें, न दिल भटके, न ज़ुबान।
    ये आपके और आपके रब के बीच का लम्हा है — इसे पाक और ख़ालिस रखिए।

वजीफा शुरू
करने के लिए सबसे पहले आप लोग तीन मर्तबा
शुरू में दरूदे जुमा पढ़ेंगे लेकिन याद
रखिए आप लोगों को यहां पर सिर्फ दरूदे
जुमा ही पढ़ना है दरूदे जुमा कौन सा होता
है आप लोग अपनी स्क्रीन पर देखिए

जब आप लोग तीन मर्तबा शुरू में
दरूदे जुमा पढ़ ले उसके बाद में आप लोगों
को सात मर्तबा जलाली आयते करीमा को पढ़ना
है वह भी आप लोग अपनी स्क्रीन पर देख
लीजिए

अगर ख्वाहिशें पूरी करनी हैं, तो यक़ीन और तरीका चाहिए

  1. दोस्तों, अब बात दिल पर रखिए —
    अगर आपकी कोई ख्वाहिश बहुत बड़ी है…
    अगर कोई दुआ बहुत वक़्त से रुकी हुई है…
  2. तो बस एक काम कीजिए — इस वज़ीफ़े को उसी तरीके से अदा कीजिए जैसा अभी बताया जा रहा है।
  3. मैं दावा करता हूँ — सिर्फ एक ही जुमा!
    सिर्फ एक बार इस अमल को सच्चे दिल से करके देखिए,
    इंशा अल्लाह ऐसा नतीजा मिलेगा जो आपकी सोच से भी आगे होगा।

📿 अब सुनिए अमल का तरीका:

  1. सबसे पहले —
    सात (7) मर्तबा “जलाली आयते करीमा” पढ़ें।
    आयत को फिर से पढ़ना है एक बार
  2. इसके बाद —
    इक्कीस (21) मर्तबा अल्लाह रब्बुल इज्ज़त के ये चार नाम पढ़ें:

” या अल्लाहु या रहमानू या
रहीमू या करीमू चारों नामों को मिलाकर आप
लोग इस तरह से पढ़ें या अल्लाहु या रहमानु
या रहीमु या करीमू

  1. इस ज़िक्र को करने के बाद जो भी आपकी हाजत है, जो भी दुआ है — दिल से अल्लाह से माँगिए।
    यक़ीन रखिए, आपका रब सुन रहा है और देर नहीं लगाएगा।

उसके बाद तीन
मर्तबा आप लोग आखिर में वही दरूद जुमा पढ़
ले जो आप लोगों ने शुरू में पढ़ा था

अब उठना नहीं है, अब वक्त है दुआ का

  1. याद रखिए — वज़ीफ़ा मुकम्मल हो गया है, लेकिन अभी काम पूरा नहीं हुआ।
    अब आपको उठना नहीं है… अब वक्त है दुआ का।
  2. दुआ कैसे करनी है?
    – दोनों हाथों को उठाइए
    – दिल को साफ़ रखिए
    – और जो भी हाजत है, बड़ी से बड़ी हो या नामुमकिन लगे —
    बस उसी चीज़ के लिए रो-रो कर अल्लाह से माँगिए।
  3. इंशा अल्लाह तबारक व तआला —
    यह मेरा तजुर्बा है, मेरा यकीन है,
    सिर्फ एक जुमा —
    आप ये वज़ीफ़ा करके देखिए,
    शाम तक आपकी हाजत पूरी हो जाएगी
    या फिर कुछ ही दिन में आपका वह काम मुकम्मल हो जाएगा,
    जिसके लिए आपने यह वज़ीफ़ा पढ़ा।

💫 बरकत वाला अमल, हर जुमा की आदत बनाएं

  1. प्यारे अज़ीज़ दोस्तों —
    यह कोई मामूली वज़ीफ़ा नहीं है, यह बरकतों वाला अमल है।
  2. हर जुमा इसे अपना मामूल बना लीजिए,
    और देखिए कैसे ज़िंदगी की परेशानियाँ हल होती जाती हैं।

वीडियो का इख़ताम

  1. उम्मीद करते हैं कि यह पूरा वीडियो आप तमाम अज़ीज़ दोस्तों को समझ में आया होगा।
    और आप सभी ने इसे दिल से महसूस भी किया होगा।
  2. अगर इस वीडियो से आपको कोई भी फायदा हुआ हो, कोई भी बात दिल को लगी हो —
    तो सिर्फ एक लाइक ज़रूर कर दें।
  3. और सवाब की नियत से, अल्लाह की रज़ा के लिए —
    इस वीडियो को ज्यादा से ज्यादा अपने अज़ीज़ों, रिश्तेदारों और दोस्तों तक पहुंचाएं।
  4. शायद आपके एक शेयर से किसी की ज़िंदगी बदल जाए, किसी की हाजत पूरी हो जाए।

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