रमज़ान की रातो में बीबी से हमबिस्तरी करने के 3 फायदे | Ramzan Mein Biwi Se Hambistari Karne Ke 3 Fayde / Wazifa Power

बिस्मिल्लाह हिर्रहमानिर्रहीम

अस्सलामु अलैकुम वरहमतुल्लाहि वबरकातुहू!

रमज़ान उल मुबारक में बीवी से हमबिस्तरी करने के तीन बड़े फायदे

आज हम इस खास और अहम मसले पर बात करेंगे कि रमज़ान के मुबारक महीने में बीवी से हमबिस्तरी करने के क्या फायदे हैं और इस बारे में इस्लाम की सही रहनुमाई क्या है। यह मसला अक्सर लोगों के बीच गलतफहमी का शिकार हो जाता है, इसलिए हम इसे कुरआन और हदीस की रोशनी में अच्छी तरह समझेंगे।

क्या रमज़ान में बीवी से हमबिस्तरी करना जायज़ है?

सबसे पहले हमें यह समझना होगा कि रमज़ान के दौरान बीवी से हमबिस्तरी करने का इस्लाम में क्या हुक्म है। अल्लाह तआला ने कुरआन पाक में इरशाद फरमाया:

“तुम्हारे लिए रमज़ान की रातों में अपनी औरतों से हमबिस्तरी हलाल कर दी गई है। वे तुम्हारे लिए लिबास हैं और तुम उनके लिए लिबास हो।”
(सूरत अल-बक़रा: 187)

इस आयत से यह साफ़ हो जाता है कि रमज़ान की रातों में बीवी से हमबिस्तरी करना जायज़ है, लेकिन रोज़े की हालत में यह सख्ती से मना है। अगर कोई शख्स दिन में, यानी रोज़े की हालत में हमबिस्तरी कर ले, तो उसका रोज़ा टूट जाएगा और उस पर कफ्फ़ारा लाज़िम आएगा।

रोज़े की हालत में हमबिस्तरी का कफ्फ़ारा

अगर किसी ने रोज़े के दौरान बीवी से हमबिस्तरी कर ली, तो उसे या तो 60 मिस्कीनों को दो वक्त का खाना खिलाना होगा या फिर लगातार 60 रोज़े रखने होंगे। अगर वह यह करने में असमर्थ हो, तो फिर उसे एक गुलाम आज़ाद करना होगा (हालांकि आज के दौर में गुलामी का सिस्टम खत्म हो चुका है)।

इसलिए हमें इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए कि दिन के वक्त हरगिज़ हमबिस्तरी न करें।


रमज़ान में बीवी से हमबिस्तरी करने के तीन बड़े फायदे

रमज़ान का महीना बरकतों और रहमतों से भरा हुआ है। इसमें किए गए हर अमल का सवाब बढ़ा दिया जाता है, चाहे वह इबादत हो, सदक़ा हो या बीवी के साथ हलाल तरीके से गुजारने वाला वक़्त हो। तो आइए जानते हैं कि रमज़ान में बीवी से हमबिस्तरी करने के क्या-क्या फायदे हैं।

  1. नेक और अच्छे अख़लाक वाली औलाद

रमज़ान में इबादत और तक़वा की वजह से माहौल नूरानी और पाक होता है। इस पाकीज़ा माहौल में जब मियां-बीवी का रिश्ता जुड़ता है, तो इससे होने वाली औलाद भी नेक और अच्छे अख़लाक वाली होती है।

हदीस शरीफ में आता है कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया:

“हर बच्चा फितरत पर पैदा होता है, फिर उसके मां-बाप उसे यहूदी, नस्रानी या मजूसी बना देते हैं।”
(सहीह बुखारी: 1358, सहीह मुस्लिम: 2658)

अगर बच्चा एक पाक-साफ माहौल में पैदा होता है, खासकर रमज़ान जैसे मुबारक महीने में, तो उसके नेक बनने के ज्यादा आसार होते हैं।


  1. शैतान के मक्रो-फरेब से हिफ़ाज़त

रमज़ान के अलावा बाकी महीनों में जब मियां-बीवी हमबिस्तरी करते हैं, तो शैतान उनका पीछा करता है और गुमराही फैलाने की कोशिश करता है। मगर रमज़ान के महीने में यह फिक्र खत्म हो जाती है, क्योंकि हदीस में आता है:

जब रमज़ान का महीना आता है, तो आसमान के दरवाज़े खोल दिए जाते हैं, जहन्नम के दरवाज़े बंद कर दिए जाते हैं और शैतानों को जंजीरों में जकड़ दिया जाता है।”
(सहीह बुखारी: 1899, सहीह मुस्लिम: 1079)

इसलिए रमज़ान के महीने में मियां-बीवी का रिश्ता ज्यादा पाक और महफूज़ होता है और शैतान की दखलअंदाजी नहीं होती।


  1. 70 गुना ज्यादा सवाब

रमज़ान का महीना अल्लाह की रहमतों और बरकतों का महीना है। इस महीने में हर नेकी का सवाब 70 गुना बढ़ा दिया जाता है। हदीस शरीफ में आता है:

“रमज़ान में एक नफ्ल अमल करने का सवाब एक फर्ज़ के बराबर होता है, और एक फर्ज़ का सवाब 70 फर्ज़ों के बराबर दिया जाता है।”
(सुनन इब्न माजा: 1642)

मियां-बीवी का हलाल रिश्ता खुद एक इबादत है, और जब यह रमज़ान में होता है, तो इसमें और भी ज्यादा बरकत हो जाती है।


किन हालात में बीवी से हमबिस्तरी हराम है?

रमज़ान में बीवी से हमबिस्तरी करना सिर्फ रात में जायज़ है, लेकिन कुछ हालात ऐसे हैं जिनमें यह हराम और नाजायज़ हो जाता है।

  1. रोज़े की हालत में
  2. हैज़ (माहवारी) के दौरान
  3. निफ़ास (बच्चे की पैदाइश के बाद 40 दिन तक का खून) के दौरान
  4. फर्ज़ और वाजिब रोज़े की हालत में
  5. एहराम की हालत में (हज और उमरा के दौरान)
  6. तक़ाफ (इतिकाफ) की हालत में
  7. बीवी की कमजोरी या बीमारी की हालत में
  8. अगर बीवी ने शौहर से अपना महर मांगा हो और वह न दिया हो
  9. अगर नमाज़ का वक्त तंग हो और गुस्ल करके नमाज़ न पढ़ सकें
  10. अगर किसी मर्द ने अपनी बीवी से हमबिस्तरी न करने की कसम खाई हो (इला की हालत में)

नतीजा

  1. रमज़ान में बीवी से हमबिस्तरी करना रात में जायज़ है, लेकिन दिन के वक्त हराम है।
  2. रोज़े की हालत में अगर कोई ऐसा करता है, तो उसे कफ्फ़ारा अदा करना होगा।
  3. रमज़ान की पाकीज़ा रातों में बीवी से हमबिस्तरी करने से नेक और अच्छे अख़लाक वाली औलाद पैदा होती है।
  4. रमज़ान में शैतान कैद होता है, जिससे मियां-बीवी के रिश्ते में ज्यादा बरकत और सुकून मिलता है।
  5. इस महीने में किए गए हर हलाल अमल का सवाब 70 गुना बढ़ जाता है।

तो दोस्तों! इस अहम मसले को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए इस वीडियो को शेयर करें। अल्लाह हम सबको सही अमल की तौफ़ीक़ अता फरमाए।

आमीन! آمین!

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