
दुश्मनों से बचाव का वज़ीफ़ा – कुरआन और हदीस की रोशनी में
दुनिया में हर इंसान को अपनी ज़िंदगी में कभी न कभी ऐसे लोगों का सामना करना पड़ता है, जो उसकी खुशियों, तरक्की और इज़्ज़त से जलते हैं। ऐसे लोग ही असल में “दुश्मन” कहलाते हैं। ये सिर्फ बाहरी दुश्मन नहीं होते, बल्कि कई बार अपने ही लोग, रिश्तेदार, सहकर्मी या पड़ोसी भी दुश्मनी पर उतर आते हैं। उनकी चालें अलग-अलग हो सकती हैं — बदनाम करना, काम में रुकावट डालना, मनोवैज्ञानिक दबाव डालना या यहां तक कि जादू-टोना करवाना।
इस्लाम हमें सिखाता है कि दुश्मनों से लड़ाई हमेशा हथियार से नहीं, बल्कि ईमान, सब्र, और अल्लाह पर भरोसे के ज़रिए लड़ी जाती है। इस पोस्ट में हम आपको कुरआन और हदीस से वह अमली तरीका बताएंगे, जो आपको दुश्मनों की साज़िशों से बचाएगा — एक असरदार वज़ीफ़ा और दुआ।
दुश्मनों की पहचान और चालें
कुरआन में अल्लाह तआला ने बार-बार ज़िक्र किया है कि इंसान को उसके दुश्मनों से सतर्क रहना चाहिए। सुरह अल-मुम्तहिना (60:1) में अल्लाह फरमाता है:
يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا لَا تَتَّخِذُوا عَدُوِّي وَعَدُوَّكُمْ أَوْلِيَاءَ
“ऐ ईमान वालो! मेरे दुश्मनों और अपने दुश्मनों को दोस्त न बनाओ।”
इस आयत से साफ है कि हर इंसान को यह पहचानना ज़रूरी है कि कौन उसका भला चाहता है और कौन नुकसान। दुश्मनों की कुछ आम चालें होती हैं:
- ग़लत अफ़वाह फैलाना – ताकि आपकी इज़्ज़त खराब हो।
- काम में अड़चन डालना – खासकर तब, जब आप तरक्की कर रहे हों।
- हौसला तोड़ना – आपको निराश करके आपके मकसद से दूर करना।
- जादू-टोना या नज़र लगाना – आपकी सफलता को रोकने के लिए।
कुरआन और हदीस से दुश्मनों पर सब्र और हिफ़ाज़त के सबक
कुरआन में अल्लाह तआला ने कई आयतों में सब्र और तवक्कुल (अल्लाह पर भरोसा) की ताकीद की है।
सुरह आल-इमरान (3:160):
إِن يَنصُرْكُمُ اللّهُ فَلاَ غَالِبَ لَكُمْ
“अगर अल्लाह तुम्हारी मदद करे तो तुम्हें कोई भी परास्त नहीं कर सकता।”
रसूलुल्लाह ﷺ ने भी हदीस में फ़रमाया:
“मज़लूम की दुआ अल्लाह और उसके बीच में हिजाब नहीं रखी जाती।”
(तिर्मिज़ी)
इसका मतलब है कि अगर आप किसी की ज़ुल्म का शिकार हैं, तो आपकी दुआ सीधी अल्लाह तक पहुंचती है।
वज़ीफ़ा का तरीका – स्टेप बाय स्टेप
अगर आपके दुश्मन आपको बहुत परेशान कर रहे हैं, तो यह वज़ीफ़ा 7 दिन लगातार करें, इंशा अल्लाह असर ज़रूर होगा।
पहला स्टेप – वुज़ू
हमेशा वज़ीफ़ा शुरू करने से पहले पाक-साफ़ होना ज़रूरी है। वुज़ू के दौरान दुआ करें:
“या अल्लाह! मुझे हर बुराई और हर बुरे इंसान से महफ़ूज़ रख।”
दूसरा स्टेप – नीयत
दिल में साफ़ नीयत करें:
“या अल्लाह! मेरे दुश्मनों की चाल को नाकाम कर दे और मुझे हर नुकसान से बचा।”
तीसरा स्टेप – दरूद शरीफ़
11 बार दरूद-ए-इब्राहीमी पढ़ें:
اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَعَلَى آلِ مُحَمَّدٍ…
चौथा स्टेप – असल वज़ीफ़ा
313 बार पढ़ें:
حَسْبِىَ اللّٰهُ لَا إِلٰهَ إِلَّا هُوَ عَلَيْهِ تَوَكَّلْتُ وَهُوَ رَبُّ الْعَرْشِ الْعَظِيمِ
(सुरह अत-तौबा – 9:129)
पांचवा स्टेप – दरूद शरीफ़
11 बार दरूद-ए-इब्राहीमी दोहराएं।
छठा स्टेप – दम करना
अपने हाथों पर फूंक मारकर पूरे शरीर और घर के कोनों में दम करें।
इस अमल के फायदे
- दुश्मनों की चालें खुद उनके खिलाफ हो जाती हैं।
- दिल को सुकून और हिम्मत मिलती है।
- अल्लाह की मदद से बुरी नज़र और जादू से हिफ़ाज़त होती है।
- आपके काम में बरकत और रुकावटों का खात्मा होता है।
एहतियात
वज़ीफ़ा सिर्फ हक़ के लिए करें, ज़ुल्म के लिए नहीं।
नीयत साफ़ रखें, सिर्फ अल्लाह से मदद मांगें।
नमाज़ की पाबंदी करें, क्योंकि बिना नमाज़ के वज़ीफ़ा असरदार नहीं होता।
दुश्मनों के लिए दुआ
रसूलुल्लाह ﷺ ने हमें यह दुआ सिखाई:
اللَّهُمَّ اكْفِنِيهِمْ بِمَا شِئْتَ
“ऐ अल्लाह! जैसे तू चाहे, मुझे इनसे बचा।”
दुश्मन चाहे कितने भी ताकतवर हों, अगर अल्लाह आपके साथ है, तो उनकी कोई चाल सफल नहीं हो सकती। ईमान, सब्र और तवक्कुल के साथ यह वज़ीफ़ा करें, इंशा अल्लाह आप दुश्मनों की हर साज़िश से महफ़ूज़ रहेंगे।
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