7 बेरी के पत्तों से करें गुस्ल – जादू और बंदिश का इलाज | WazifaPower.com

आज के दौर में इंसान तमाम तरह की परेशानियों, बीमारियों और अजीब-अजीब हालात का सामना कर रहा है। कभी जादू का असर, कभी नजर-ए-बद, कभी टोटके, कभी बंदिशें — यह सब इंसान को अंदर से तोड़कर रख देता है। न कोई काम बनता है, न सुकून मिलता है, ना तंदुरुस्ती रहती है, और ना ही घर में बरकत आती है।

कई बार तो यह सब कुछ होने के बाद भी इंसान को समझ नहीं आता कि उसके साथ हो क्या रहा है। ऐसे में जब हर दरवाज़ा बंद हो जाए, तब इस्लामी इलाज ही असली राहत बनकर सामने आता है। ऐसा ही एक सुन्नती और असरदार इलाज है — “सात बेरी के पत्तों से गुस्ल करना”। आइए इसे समझते हैं क़ुरआन और हदीस की रौशनी में, पॉइंट टू पॉइंट।


🔶 पहला पॉइंट: जादू, नजर-ए-बद और टोटकों का हकीकत

क़ुरआन में अल्लाह तआला फ़रमाता है:

“और (कुछ लोग) शैतानों की पैरवी करते हैं, जो सुलैमान (अलैहिस्सलाम) के दौर में जादू किया करते थे…” (सूरह अल-बक़रह: 102)

इससे साबित होता है कि जादू एक हकीकत है और यह इंसान को नुकसान पहुंचा सकता है। लेकिन इसके मुकाबले में अल्लाह की मदद सबसे बड़ी ताक़त है।

आजकल इंसान जरा सी तरक्की करता है तो दुश्मन जलते हैं और टोटके-टोने करके उसे बर्बाद करने पर तुल जाते हैं। घरों में बंदिशें लगा दी जाती हैं, रिश्तों में तकरार पैदा कर दी जाती है।


🔶 दूसरा पॉइंट: सुन्नती इलाज — बेरी के पत्तों से गुस्ल

हज़रत इब्ने अबी शैबा ने अपनी किताब में और दूसरे उलमा ने भी इस बात का ज़िक्र किया है कि बेरी के पत्तों से गुस्ल जादू का इलाज है।

यह अमल हज़रत इमाम क़ुर्तुब़ी रहमतुल्लाह अलैह ने भी जिक्र किया है कि:

“जादू के असर को दूर करने के लिए सात बेरी के पत्तों को पीसकर, पानी में डालकर गुस्ल करना असरदायक होता है।”


🔶 तीसरा पॉइंट: तरीका क्या है?

  1. सात ताजे बेरी के पत्ते लें।
  2. इन्हें साफ पानी में अच्छी तरह पीस लें या मिक्सर से ब्लेंड कर लें।
  3. अब इस पानी को एक बाल्टी पानी में डाल दें।
  4. इस पानी से पूरा गुस्ल करें — सिर से पांव तक।

यह गुस्ल मगरिब या ईशा की नमाज़ के बाद करना सबसे बेहतर है।

गुस्ल के वक्त दिल से यकीन रखें कि अल्लाह ही शिफा देने वाला है।

इस अमल के साथ साथ “सूरह फ़लक”, “सूरह नास”, और “आयतुल कुर्सी” का भी विर्द करें।


🔶 चौथा पॉइंट: क्यों असर करता है ये इलाज?

बेरी का पत्ता रूहानी और जिस्मानी सफाई के लिए मुफीद है। इसमें ऐसी ताक़त है जो शैतानी असरात, जादू, और निगेटिव एनर्जी को दूर करती है।

ये अमल सिर्फ एक देसी इलाज नहीं, बल्कि तसदीक़-शुदा सुन्नती इलाज है।


🔶 पाँचवां पॉइंट: किन परेशानियों में फायदेमंद है ये गुस्ल?

जादू टोने का असर हो

शादी में बंदिश या रुकावट हो

कारोबार में नुकसान हो रहा हो

बीमारियाँ जो इलाज से ठीक ना हो रही हों

घर में अजीब साए या डर महसूस होता हो

नींद में डरावने ख्वाब या घबराहट होती हो


🔶 छठा पॉइंट: इस अमल के साथ क्या दुआ पढ़ें?

गुस्ल करते वक्त यह दुआ पढ़ें:

“اللّٰهُمَّ اذْهِبْ عَنِّي الأَذَى وَالشَّرَّ وَالبَلَاءَ، وَارْزُقْنِي الشِّفَاءَ وَالسَّلاَمَةَ، إِنَّكَ أَنْتَ الشَّافِي لاَ شِفَاءَ إِلاَّ شِفَاؤُكَ”

हिंदी मतलब: ऐ अल्लाह! मुझसे तकलीफ़, बुराई और आफ़त को दूर फ़रमा, और मुझे शिफा और सलामती अता फ़रमा, बेशक तू ही शिफा देने वाला है। तेरी शिफा के सिवा कोई शिफा नहीं।


🔶 सातवां पॉइंट: कब तक करना है ये अमल?

कम से कम 3 दिन लगातार करें। हालात नाज़ुक हों तो 7 दिन तक लगातार करें।

हर बार नियत करें कि “मैं जादू/बंदिश/बीमारी के इलाज के लिए ये सुन्नती अमल कर रहा हूं।”


🔶 आठवां पॉइंट: कुछ जरूरी एहतियात

गुस्ल के बाद उसी कपड़े में नमाज़ न पढ़ें, साफ कपड़े पहनें।

अगर मुमकिन हो तो बेरी के पत्तों को पीसते वक्त बिस्मिल्लाह जरूर पढ़ें।

अमल के दौरान अल्लाह पर यकीन और भरोसा रखें, शिर्क और टोने-टोटकों से दूर रहें।


🔶 नौंवा पॉइंट: नबी ﷺ की तालीम और हिदायत

हज़रत आयशा रज़ि अल्लाहु अन्हा से रिवायत है कि नबी ﷺ पर जादू किया गया था, और आपने इस्लामी इलाज से ही उसका इलाज किया। (बुख़ारी, मुस्लिम)

यानी अगर रसूलुल्लाह ﷺ के साथ ऐसा हुआ और आपने इलाज करवाया, तो हमें भी इसका इंकार नहीं करना चाहिए — बल्कि इस्लामिक इलाज पर अमल करना चाहिए।


🔶 दसवां पॉइंट: आज के दौर में सबसे ज़रूरी अमल

आज के दौर में हर इंसान को कभी न कभी ऐसे हालात से गुजरना पड़ता है जहाँ वो टूट जाता है। तो ऐसे में ये बेरी के पत्तों वाला गुस्ल एक बड़ा हथियार है — जो ना सिर्फ जिस्म को, बल्कि रूह को भी साफ कर देता है।

याद रखिए: शिफा अल्लाह के पास है, हमें बस सुन्नत और हिदायत के मुताबिक इलाज करना है।


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अल्लाह तआला हम सबको हर तरह की आफ़त, जादू, टोटकों और नजर-ए-बद से महफूज़ रखे। आमीन या रब्बुल आलमीन।

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