
🔴 नजर क्या होती है और क्यों लगती है?
नज़र, यानी अल-ऐन (العين) एक हक़ीक़त है, जिसे हमारे प्यारे नबी हज़रत मुहम्मद ﷺ ने हकीकत में माना है। नज़र एक ऐसा हसद और जलन भरा निगाह होता है जो इंसान की हालत को बिगाड़ सकता है। जब कोई शख्स किसी की नेमत को देखता है और उस पर जलन करता है, तो उसकी निगाह उस इंसान को नुकसान पहुँचा सकती है।
📖 हदीस:
रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया: “नज़र लगना हक़ है, अगर कोई चीज़ तक़दीर से आगे बढ़ सकती, तो वो नज़र होती।” (सहीह मुस्लिम 2188)
👁️ नजर किसको लगती है?
- बच्चों को: खासतौर पर मासूम और प्यारे बच्चों को बहुत जल्दी नज़र लग जाती है।
- खूबसूरत लोगों को: चेहरे की रौनक या हुस्न भी नज़र की वजह बनता है।
- कामयाब इंसानों को: जो तिजारत, शोहरत या मकबूलियत पा चुके हों।
- नई चीज़ों को: नया घर, नई गाड़ी, नई नौकरी — इन सब चीज़ों पर नज़र जल्दी लगती है।
- खुशहाल रिश्तों को: मियां-बीवी के प्यार, बच्चों की फरमांबरदारी पर भी लोगों को हसद होता है।
🤔 नजर क्यों लगती है?
- हसद (जलन) — जब कोई दिल से किसी की खुशी बर्दाश्त न कर सके।
- तारीफ़ के वक़्त “माशा अल्लाह” न कहना — बिना अल्लाह का ज़िक्र किए तारीफ़ करने से नज़र लग सकती है।
- रूहानी कमजोरी — जब इंसान का दिल, दिमाग और घर रूहानी तौर पर कमज़ोर हो, तो नज़र जल्दी असर करती है।
- कुबूलियत के लम्हात में — कभी-कभी जब आप बहुत ज़्यादा शोहरत या ध्यान में आते हैं, तो लोग अपनी निगाहें आप पर जमा देते हैं।
🏠 घर के अंदर से या बाहर से — नजर कहां से लगती है?
✅ घर वालों से भी लग सकती है: कभी-कभी नादानी में, घर के किसी सदस्य की बुरी नज़र भी असर कर जाती है, जैसे किसी का हसद करना या बिना “माशा अल्लाह” कहे तारीफ़ करना।
✅ बाहर वालों से: पड़ोसी, रिश्तेदार, सोशल मीडिया पर देखने वाले — ये सब भी हसद का शिकार बना सकते हैं। आजकल लोग इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर खुशियों की पोस्ट डालते हैं, लेकिन वहाँ भी नजरें ताक में होती हैं।
✅ कुछ खिला-पिला कर या टोने-टोटकों से भी: हां, आजकल कुछ लोग जलन में आकर हक़ीक़त में ऐसे रूहानी हमले करते हैं — जैसे नज़री ताबीज़, कुछ खिलाना-पिलाना या घर के बाहर कुछ चीजें फेंकना, जो बुरी नियत का हिस्सा होता है।
📲 आज के माहौल में कैसे लगती है नजर?
- सोशल मीडिया के ज़रिए: लोग इंस्टाग्राम, फ़ेसबुक पर अपनी खुशियाँ और बच्चों की वीडियो डालते हैं — वहां से भी नज़र लगती है।
- लोगों की तारीफों के पीछे छुपा हसद: जब कोई बार-बार कहे, “क्या बात है, बच्चा बहुत समझदार है”, लेकिन “माशा अल्लाह” न कहे — समझ जाइए, खतरा है।
🟠 नजर लगने की असल वजहें:
- किसी की नेमत पर हसद करना
- किसी की खूबसूरती या कामयाबी देखकर दिल में जलन
- बिना ‘माशा अल्लाह’ कहे तारीफ करना
- दिल में बुरे खयालात रखना
- इमान की कमजोरी और तक्वा की कमी
- ग़ीबत और बुराई की आदत
- इंसानी नजर का असर खुदा की मर्ज़ी से हकीकत बन जाना
🟢 नजर लगने से इंसान को क्या नुकसान होता है?
- अचानक बीमार पड़ जाना
- कारोबार में गिरावट आना
- बच्चों का बार-बार रोना
- बार-बार गिरना या चोट लगना
- नींद न आना
- घर में बार-बार झगड़े होना
- शादीशुदा ज़िंदगी में कड़वाहट
- चेहरे का रंग उतर जाना
- लगातार थकावट रहना
- दिमागी उलझन
🟡 नजर लगने की 20 निशानियाँ (Signs of Evil Eye):
- बिना वजह बार-बार बीमार पड़ना
- अचानक तेज सिरदर्द होना
- किसी काम में मन न लगना
- बच्चे का दूध पीना छोड़ देना
- बार-बार व्यापार में घाटा होना
- नींद में डरना या चिल्लाना
- किसी खास शख्स के आने पर तबीयत बिगड़ जाना
- चेहरे पर अचानक दाग़ या फुंसियाँ
- बार-बार गुमसुम हो जाना
- कोई भी चीज़ हाथ में टूट जाना
- बार-बार कार/बाइक का एक्सीडेंट होना
- नए कपड़े या चीज़ें जल्द ही खराब हो जाना
- अचानक गुस्से में आ जाना
- पेट दर्द या बदहजमी का बने रहना
- शरीर का सुन्न हो जाना
- कारोबार में रुकावट
- शादी में बार-बार अड़चन
- बच्चों का पढ़ाई में मन न लगना
- नमाज़ से दूरी बन जाना
- घर का माहौल बिगड़ जाना
🟣 नजर से हिफाज़त के लिए कुरान से वज़ीफ़ा:
📿 यह वज़ीफ़ा फ़ज्र की नमाज़ के बाद और रात को सोने से पहले पढ़ें:
- सूरह फलक (113) – 3 बार
- सूरह नास (114) – 3 बार
- आयतुल कुर्सी (2:255) – 1 बार
- सूरह यूसुफ – आयत 67:
“وَمَا أُغْنِي عَنكُم مِّنَ اللَّهِ مِن شَيْءٍ ۖ إِنِ الْحُكْمُ إِلَّا لِلَّهِ ۖ عَلَيْهِ تَوَكَّلْتُ ۖ وَعَلَيْهِ فَلْيَتَوَكَّلِ الْمُتَوَكِّلُونَ”
- फिर हाथ पर दम करके पूरे जिस्म पर फूँक दें। बच्चों पर भी यही अमल करें।
📌 हर बार किसी की तारीफ करें तो “माशा अल्लाह” ज़रूर कहें।
🔴 नजर उतारने का वज़ीफ़ा:
अगर नज़र लगने के बाद आपको ये निशानियाँ दिखें तो यह अमल करें:
- एक गिलास पानी लें
- उसमें 3 बार सूरह फातिहा, 3 बार सूरह फलक, 3 बार सूरह नास पढ़ें
- 7 बार दरूद शरीफ पढ़कर फूँक मारें
- अब यह पानी नज़र लगे हुए शख्स को पिलाएं या उस पर छिड़कें
💧 अगर बच्चा है, तो यही अमल करके उसे नहलाएं।
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📎 अंतिम बात:
नज़र का मसला सिर्फ एक वहम नहीं, बल्कि शरई हकीकत है। इससे हिफाज़त के लिए रूहानी तदबीरें बेहद ज़रूरी हैं। कुरान और हदीस की रोशनी में अल्लाह से मदद मांगे, तवक्कुल रखें और हर वक्त उसका ज़िक्र करते रहें।
اللّٰهُ أَكْبَرُ – माशा अल्लाह – आमीन यारब्ब العالمीन