
जब घर में ग़रीबी आती है, तो सिर्फ़ जेब ख़ाली नहीं होती — ज़िंदगी भी बोझ बन जाती है।
रिश्ते भी बोझ लगने लगते हैं और चैन-ओ-सुकून भी दूर चला जाता है।
न घर की रोटियाँ मुकम्मल होती हैं, न दिल की दुआएँ।
घर का सुकून, दुकान की रौनक, कारोबार की तरक़्क़ी — सब कुछ थम जाता है।
इंसान कोशिश करता है, मेहनत करता है, लेकिन फिर भी हाथ में कुछ नहीं आता।
ऐसा लगता है जैसे बरकत ही उठ गई हो।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आख़िर ग़रीबी आती क्यों है?
क्या ये महज़ नसीब है या हमारे अपने कुछ ऐसे काम हैं जो अल्लाह तआला को नाराज़ कर देते हैं और फिर घर से बरकत चली जाती है?
आज हम इस पोस्ट में वही हक़ीक़त जानेंगे — वो वजहें जो हमारी ग़लतियों की वजह से ग़रीबी को दावत देती हैं।
और ये भी जानेंगे कि घर, दुकान या कारोबार में ग़रीबी आने के बाद इंसान को किन-किन मुश्किलों से गुज़रना पड़ता है।
जब घर में बरकत उठ जाए और तंगी घर कर जाए…
अल्लाह तआला ने इंसानी ज़िंदगी को आसान और पुरसुकून बनाया है, लेकिन जब इंसान अपनी ज़िंदगी में कुछ ऐसी छोटी-छोटी गलतियाँ करता है, जो देखने में मामूली लगती हैं मगर उनके असरात बहुत भारी होते हैं — तो वही ग़लतियाँ घर से बरकत को खत्म कर देती हैं, और तंगी, मुफलिसी और परेशानी को बुलावा देती हैं।
- पेड़ के नीचे पेशाब करना
इस्लाम पाकीज़गी और तहज़ीब का मज़हब है। पेड़, पौधे और दरख़्त अल्लाह की नेअमत हैं। हदीस में आता है कि दरख़्तों के नीचे जिन्नात और फरिश्ते भी मौजूद होते हैं। ऐसी जगह गंदगी करना गुनाह है।
➡️ हज़रत अबू हुरैरा रज़ि. से रिवायत है, रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया: “दो लानत की चीज़ों से बचो: एक वो जो लोगों के रास्ते में या उनके साये की जगह (जैसे दरख़्त के नीचे) में पेशाब करता है।” (सहीह मुस्लिम)
ऐसी हरकतों की वजह से अल्लाह की रहमत हट जाती है और ग़रीबी घर में दाख़िल होने लगती है।
- टूटी हुई कंघी का इस्तेमाल करना
रसूलुल्लाह ﷺ ने सफाई को आधा ईमान बताया है। एक टूटी हुई कंघी इंसान की ज़ात को गंदा और बेपरवाह दिखाती है। जब हम खुद की केयर नहीं करते, तो ये सुस्ती अल्लाह को पसंद नहीं आती। ऐसी चीज़ें बुरे असर डालती हैं और नेगेटिविटी फैलाती हैं।
➡️ उलमा बताते हैं कि टूटी हुई चीज़ों का बार-बार इस्तेमाल इंसान की किस्मत पर असर डालता है और तंगी को खींच लाता है।
- घर में कूड़ा-कचरा रखना
अगर घर में हर तरफ गंदगी और कूड़ा फैला रहता है, तो ये सिर्फ़ नज़र खराब नहीं करता — बल्कि इससे घर की रूहानी फिजा भी बिगड़ जाती है।
➡️ रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया: “अल्लाह तआला पाक है और पाकीज़गी को पसंद करता है।” (तिर्मिज़ी)
कूड़ा रखने से शैतान को ताक़त मिलती है और रहमत के फरिश्ते दूर हो जाते हैं — नतीजा: ग़रीबी का डेरा।
- बाएं पैर से पायजामा या पैंट पहनना
इस्लाम में हर चीज़ के लिए अदब और तरीका बताया गया है। कपड़े पहनते वक़्त दाहिने से शुरू करना सुन्नत है।
➡️ हदीस में है: “रसूलुल्लाह ﷺ दाहिने से शुरू करते थे, जब भी कोई काम करते – जैसे जूते पहनना, बाल बनाना या कपड़े पहनना।” (सहीह बुखारी)
जो इस सुन्नत की खिलाफ़वरज़ी करता है, वह बबरकतियों को दावत देता है।
- दाँतों से रोटी नोच-नोच कर खाना
यह आदत बेअदबी में आती है। खाना अल्लाह की नेअमत है और उसका अदब ज़रूरी है। जब हम रोटी को जानवरों की तरह दाँतों से नोचते हैं, तो इसमें बेतहज़ीबी और नेअदबी होती है।
➡️ हदीस में आता है: “तुम्हारे पास जो खाना है, उसे आदब से खाओ — क्यूंकि ये अल्लाह का इनाम है।”
ऐसी आदतें इंसान के घर से बरकत को खत्म कर सकती हैं।
- दाँतों से नाखून काटना
इससे न सिर्फ सफाई का मसला होता है, बल्कि ये बीमारी और बदसूरत आदत का हिस्सा बन जाता है। उलमा बताते हैं कि इस आदत में तैश, बेचैनी और बेतहज़ीबी होती है।
➡️ हदीस में है: “जो काम हाथ से हो सकता है, उसे मुँह से करना बेअदबी और कमजोरी की निशानी है।”
ऐसी आदतें रूहानी कमजोरी और तंगदस्ती का सबब बनती हैं।
- बिना मजबूरी के फटे कपड़े पहनना
इस्लाम ज़रूर सादगी सिखाता है, लेकिन गंदगी और लापरवाही नहीं। फटे हुए कपड़े अगर मजबूरी में पहने जाएं तो ठीक, वरना ये खुद की बेइज्ज़ती और अल्लाह की नेअमत की नाशुक्री है।
➡️ कुरआन में है: “और अपने लिबास को पाक-साफ़ रखो।” (सूरह मुद्दस्सिर: 4)
जो शख्स खुद को साफ़-सुथरा नहीं रखता, वो फज्र की रहमत और दिन की बरकत से महरूम हो सकता है।
- सुबह सूरज निकलने तक सोते रहना
यह बहुत बड़ा नुकसान है। रसूलुल्लाह ﷺ ने सुबह की दुआओं और काम की बरकत की दुआ की है। जो फज्र के बाद सोता है, वह इस बरकत से महरूम हो जाता है।
➡️ हदीस में है: “ऐ अल्लाह! मेरी उम्मत के लिए सुबह के वक़्त बरकत अता फ़रमा।” (अबू दाऊद)
सुबह देर तक सोना ग़रीबी को खींच लाता है और रिज़्क़ की राहें बंद कर देता है।
- पीने का पानी रात को खुला छोड़ना या ढक कर न रखना
रसूलुल्लाह ﷺ ने ताकीद फ़रमाई कि खाने-पीने की चीज़ों को ढक कर रखा जाए।
➡️ हदीस में है: “बरतन को ढक कर रखो और मश्क (पानी रखने का बर्तन) को बंद कर दो, क्यूंकि रात में शैतान फैलता है।” (सहीह मुस्लिम)
खुले पानी या खाने में बुरी ताक़तों का असर हो सकता है — और यही असर रिज़्क़ में रुकावट और घर में तंगी बन जाता है।
- जूते-चप्पल उल्टे देखकर उन्हें सीधा न करना
ये मामूली बात लगती है, लेकिन उल्टे जूते घर में नकारात्मक असर और बुरे साइकोलॉजिकल असर डालते हैं। कई उलमा का कहना है कि यह ग़फ़लत की निशानी है।
➡️ एक हदीस के मुताबिक़: “तहज़ीब ईमान का हिस्सा है। जो चीज़ गलत देखो, उसे सही करो।”
ऐसी लापरवाही धीरे-धीरे घर की बरकत को खा जाती है।
- किसी बेज़ुबान जानवर को लात मारना या सताना
इस्लाम में जानवरों पर रहम करने का हुक्म है। बेज़ुबानों को सताना, मारना — ये गुनाह है।
➡️ रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया: “एक औरत को सिर्फ़ इस वजह से जहन्नम में डाला गया कि उसने एक बिल्ली को बांध कर भूखा मार दिया।” (सहीह बुखारी)
अगर जानवरों पर ज़ुल्म करेंगे तो कैसे उम्मीद करेंगे कि अल्लाह हम पर रहम फरमाएगा?
- घर में मेहमान आने पर उन पर गुस्सा करना या बुरा मुँह बनाना
इस्लाम मेहमाननवाज़ी को बहुत अहमियत देता है। अगर कोई घर में आए और उसे बुरा बर्ताव मिले, तो वह घर अल्लाह की रहमत से महरूम हो जाता है।
➡️ हदीस है: “जो अल्लाह और आख़िरत के दिन पर ईमान रखता है, वह मेहमान का इकराम करे।” (सहीह बुखारी)
मेहमान अल्लाह की रहमत होते हैं। उन पर गुस्सा करना, नेमतों की बंदिश और तंगी को बुलाने जैसा है।
📌 सख़्त तनबीह (Official Notice):
यह मुकम्मल पोस्ट “वज़ीफ़ा पावर” चैनल के ओनर हज़रत शब्बीर मलिक साहब और उनकी टीम की मेहनत का नतीजा है। इस पोस्ट में दी गई तमाम मालूमात, तहरीर और मज़मून पर मुकम्मल तौर पर कॉपीराइट लागू है।
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इसलिए हम तमाम कंटेंट क्रिएटर्स से गुज़ारिश करते हैं कि पहले इजाज़त हासिल करें और फिर ही वीडियो या पोस्ट तैयार करें।
शुक्रिया और तावुन का तलबगार — वज़ीफ़ा पावर टीम।