
जुमे की फज़ीलत और वज़ीफ़े – कुरआन और हदीस की रौशनी में एक मुकम्मल रहनुमा
इस्लाम ने हर दिन को अहम बनाया है, लेकिन जुमा का दिन (यानी शुक्रवार) पूरी हफ़्ते के दिनों का सरदार है। यह दिन रहमतों, बरकतों और मग़फ़िरत का दिन है। कुरआन और हदीस की रौशनी में जुमा की इतनी फज़ीलतें बयान की गई हैं कि अगर कोई मुसलमान सच्चे दिल से इन पर अमल कर ले तो उसकी दुनिया और आख़िरत दोनों सँवर सकती हैं। आइए इस मुकम्मल पोस्ट में हम जुमा की अहमियत, उसके वज़ीफ़े, मस्नून अमल और उससे जुड़ी बरकतों का तफ्सील से ज़िक्र करते हैं।
- जुमा की अहमियत कुरआन की रौशनी में
- अल्लाह तआला ने कुरआन मजीद में सुरह अल-जुमा नाज़िल फरमाई, जिसमें इस दिन की अहमियत बयान हुई:
“ऐ ईमान वालों! जब जुमा के दिन नमाज़ के लिए अज़ान दी जाए तो तुम अल्लाह की याद की तरफ़ दौड़ पड़ो और ख़रीद-फ़रोख़्त छोड़ दो, अगर तुम जानते हो तो यही तुम्हारे लिए बेहतर है।”
(सुरह अल-जुमा, आयत 9)
➡️ यह आयत साफ़ बताती है कि जुमा का दिन इबादत और अल्लाह की याद के लिए है, न कि दुनियावी कारोबार के लिए।
- इस आयत से मालूम होता है कि जुमा की नमाज़ सिर्फ़ फर्ज़ नहीं बल्कि ईमान की पहचान है। यह दिन दुनिया की ग़फ़लत छोड़कर अल्लाह की तरफ़ रूजू करने का दिन है।
👉 याद रखने वाली लाइन: “जुमा सिर्फ़ एक दिन नहीं, बल्कि ईमान की पहचान और अल्लाह की रहमतों का पैग़ाम है।”
- जुमा की अहमियत हदीस की रौशनी में
रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
- “सबसे अच्छा दिन जिस पर सूरज طلوع होता है, वह जुमा का दिन है। इसी दिन हज़रत आदम अलैहिस्सलाम पैदा किए गए, इसी दिन उन्हें जन्नत में दाख़िल किया गया और इसी दिन उन्हें जन्नत से निकाला गया। और इसी दिन क़यामत क़ायम होगी।”
(सहीह मुस्लिम) - “जुमा का दिन मुसलमानों के लिए ईद का दिन है।”
(इब्ने माजा) - “जो आदमी जुमा के दिन ग़ुस्ल करता है, फिर नमाज़ के लिए जाता है और तवज्जो के साथ इमाम की ख़ुतबा सुनता है, तो उसके पिछले हफ़्ते के सारे गुनाह माफ़ कर दिए जाते हैं।”
(बुखारी व मुस्लिम)
👉 याद रखने वाली लाइन: “जुमा का दिन गुनाहों की माफी, रहमत और जन्नत की दावत का दिन है।”
- जुमा के दिन के मस्नून अमल
- ग़ुस्ल करना – हदीस शरीफ़ में है:
“जुमा के दिन हर बालिग़ इंसान पर ग़ुस्ल करना वाजिब है।” (बुखारी) - साफ़-सुथरे कपड़े पहनना – हदीस में आता है कि जुमा के दिन अच्छे कपड़े पहनना सुन्नत है।
- दरूद शरीफ़ की कस्रत – रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
“जुमा के दिन मुझ पर दरूद की बहुतायत करो, क्योंकि तुम्हारे दरूद मेरे पास पेश किए जाते हैं।” (अबू दाऊद) - सुरह काहफ़ की तिलावत – हदीस में आता है:
“जो शख़्स जुमा के दिन सुरह काहफ़ पढ़ेगा, उसके लिए एक जुमा से अगले जुमा तक नूर रोशन होगा।” (हाकिम) - दुआ की क़बूलियत का वक़्त – रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
“जुमा के दिन एक ऐसा लम्हा है जिसमें मुसलमान जो भी दुआ करता है, अल्लाह उसे क़बूल करता है।” (बुखारी व मुस्लिम)
👉 याद रखने वाली लाइन: “जुमा का दिन दुआओं की क़बूलियत का दिन है, बस दिल से माँगो और यक़ीन रखो।”
- जुमा के दिन के ख़ास वज़ीफ़े
- क़र्ज़ से निजात पाने का वज़ीफ़ा
जुमा की नमाज़ के बाद 7 बार “सुरह अल-इख़लास” पढ़कर दुआ करें। इनशा-अल्लाह क़र्ज़ की मुश्किल हल होगी। - रिज़्क़ में बरकत के लिए
जुमा के दिन 100 बार “या वासेऊ” पढ़ें। अल्लाह तआला रिज़्क़ में बरकत अता फ़रमाएंगे। - ग़म और तकलीफ़ दूर करने के लिए
जुमा के दिन 100 बार “ला हौल व ला क़ुव्वता इल्ला बिल्लाह” पढ़ें। इससे दिल को सुकून और ग़म से निजात मिलती है। - मोहब्बत और रिश्तों में मज़बूती के लिए
जुमा के दिन 11 बार दरूद-ए-इब्राहीमी पढ़कर अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के लिए दुआ करें। - बीमारी से शिफ़ा के लिए
जुमा के दिन 41 बार सुरह फातिहा पढ़कर पानी पर दम करें और पी लें। अल्लाह तआला शिफ़ा अता फ़रमाएँगे।
👉 याद रखने वाली लाइन: “जुमा का वज़ीफ़ा सिर्फ़ दुआ नहीं, बल्कि अल्लाह से जुड़ने का एक ज़रिया है।”
- जुमा की रात की फज़ीलत (गुरुवार की रात)
हदीस में आता है कि जुमा की रात (यानी गुरुवार की रात) भी रहमतों से भरी हुई है।
- रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
“जो शख़्स जुमा की रात इबादत करता है, अल्लाह उसके लिए जन्नत में नूर का सबब बनाता है।” (बैयहक़ी) - इस रात को तिलावत-ए-कुरआन, तस्बीह और इस्तिग़फ़ार की आदत डालनी चाहिए।
- मय्यत (इंतकाल करने वाले) मुसलमान के लिए इस रात दुआ करना बहुत फ़ायदेमंद है।
👉 याद रखने वाली लाइन: “जुमा की रात तौबा और मग़फ़िरत का सुनहरा मौक़ा है।”
- जुमा की नमाज़ की फज़ीलत
- रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
“जो शख़्स तीन जुमा की नमाज़ छोड़ दे, उसका दिल मुहर कर दिया जाता है।” (अबू दाऊद) - जुमा की नमाज़ सिर्फ़ फर्ज़ नहीं, बल्कि उम्मत की एकता और भाईचारे का सबब भी है।
- यह नमाज़ इंसान को दुनियावी कामों से उठाकर सीधे अल्लाह की तरफ़ लाती है।
👉 याद रखने वाली लाइन: “जुमा की नमाज़ छोड़ना, ईमान से दूर जाना है।”
- जुमा के दिन की दुआएँ
कुछ मस्नून दुआएँ:
रिज़्क़ की बरकत के लिए:
“रब्बना आतिना फ़िद्दुन्या हसनतन व फ़िल आख़िरति हसनतन व क़िना अज़ाबन्नार।”
गुनाहों की माफी के लिए:
“अस्तग़फिरुल्लाह रब्बी मिन कुल्ली ज़म्बिन व अतूबु इलैह।”
👉 याद रखने वाली लाइन: “जुमा की दुआएँ दिल को रोशन और जिंदगी को आसान बना देती हैं।”
- जुमा का दिन और सदक़ा
रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
“सदक़ा ग़म और तकलीफ़ को दूर करता है, और जुमा के दिन किया गया सदक़ा सब से अफ़ज़ल है।” (तिर्मिज़ी)
इसलिए जुमा के दिन गरीबों और ज़रूरतमंदों को ख़ास तौर पर मदद करनी चाहिए।
👉 याद रखने वाली लाइन: “जुमा का सदक़ा ज़िंदगी की मुश्किलों को आसान कर देता है।”
- जुमा और दरूद-ए-पाक
रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
“जुमा के दिन मुझ पर दरूद की बहुतायत करो, क्योंकि तुम्हारा दरूद मेरे पास पेश किया जाता है।” (अबू दाऊद)
दरूद पढ़ना सिर्फ़ सुन्नत नहीं बल्कि रहमत और मग़फ़िरत का सबब है।
👉 याद रखने वाली लाइन: “जुमा का असली नूर दरूद शरीफ़ है।”
नतीजा
जुमा का दिन मुसलमानों के लिए ईमान की ताक़त, गुनाहों की माफी, दुआओं की क़बूलियत और बरकतों का दिन है। कुरआन और हदीस की रौशनी में अगर मुसलमान इस दिन को इबादत, दुआ, दरूद, सदक़ा और नेकी में गुज़ार लें तो उनकी दुनिया और आख़िरत दोनों रोशन हो सकती हैं।
📌 अहम बातें याद रखने के लिए:
जुमा हफ़्ते का सबसे अफ़ज़ल दिन है।
इस दिन ग़ुस्ल, अच्छे कपड़े, दरूद शरीफ़ और सुरह काहफ़ की तिलावत करना सुन्नत है।
इस दिन दुआ की क़बूलियत का वक़्त मौजूद है।
जुमा की नमाज़ छोड़ना ईमान से दूर होना है।
जुमा के दिन सदक़ा और नेक अमल की अहमियत दोगुनी हो जाती है।
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