जुमे के दिन का ऐसा असरदार वज़ीफ़ा जो आपकी जिंदगी की मुश्किलें खत्म कर सकता है
भाईयो और बहनों,

क्या आप कारोबार में बरकत चाहते हैं? दुकान में ग्राहक बढ़ें, ऐसा चाहते हैं? क्या घर में झगड़े हैं, मियाँ-बीवी में दूरियाँ हैं? या फिर औलाद के लिए परेशान हैं? क्या नौकरी नहीं मिल रही? या मिली है लेकिन चैन और सकून नहीं? क्या आपको लगता है किसी ने जादू, टोटका या बंदिश कर दी है? बीमारियों ने घेर रखा है? अगर इन सब सवालों का जवाब हाँ है तो आज की ये वीडियो आपके लिए है। क्योंकि इसका हल है एक अस्सरदार और आसान वज़ीफ़ा, जो सिर्फ जुमे के दिन करना है, और वो भी सिर्फ अल्लाह के एक नाम या कुरआनी सूरे से। लेकिन वो वज़ीफ़ा क्या है और कैसे पढ़ना है — ये मैं आपको वीडियो के आख़िर में बताऊँगा। इसलिए आख़िर तक ज़रूर देखिए।
क्यों जुमे का दिन इतना खास है? (हदीस और कुरआन से)
- कुरआन की गवाही:
सूरह अल-जुमुअ: आयत 9 में अल्लाह तआला फरमाता है:
“ऐ ईमान वालो! जब जुमे के दिन की नमाज़ के लिए अज़ान दी जाए, तो अल्लाह के ज़िक्र की तरफ दौड़ो और खरीदो-फरोख़्त छोड़ दो, यही तुम्हारे लिए बेहतर है, अगर तुम समझो।”
- हदीस शरीफ़:
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“जुमा हफ्ते का सबसे बेहतर दिन है, इसी दिन आदम (अलैहिस्सलाम) की पैदाइश हुई, और इसी दिन उनकी रूह क़ब्ज़ हुई… और इस दिन की एक घड़ी ऐसी है जिसमें मांगी गई हर दुआ कुबूल होती है।”
(मुस्लिम शरीफ़)
जुमे के दिन वज़ीफ़ा करने के फायदे
- कारोबार और दुकान में बरकत:
जुमे के दिन अल्लाह का नाम लेकर की गई दुआ, रोज़ी के दरवाज़े खोल देती है।
दिल साफ़ रखकर पढ़ा गया वज़ीफ़ा तंगी को दूर करता है।
- रिश्तों में मोहब्बत:
मियाँ-बीवी के झगड़ों को दूर करने का सबसे आसान दिन है जुमा।
एक-दूसरे के लिए दिलों में नरमी पैदा होती है।
- औलाद की नेमत:
जो लोग सालों से औलाद के लिए परेशान हैं, वो जुमे को यह वज़ीफ़ा करें, अल्लाह रहमत फरमाता है।
- नौकरी और रिज़्क़:
नौकरी में रुकावट, इंटरव्यू में नाकामी — सब दूर होती है अगर जुमे को दिल से अल्लाह को पुकारा जाए।
- घर की परेशानियाँ:
झगड़े, नाफरमानी, लड़ाई — सब कुछ इस दिन की बरकत से खत्म हो सकता है।
- जादू, टोटके, बंदिश और बीमारियों से हिफाज़त:
यह दिन शिफा और राहत का है। खास वज़ीफ़ा अल्लाह की हिफाज़त में ले आता है।
अब सुनिए — वो असरदार और आसान वज़ीफ़ा
अगर आप इन तमाम परेशानियों से निजात चाहते हैं तो हर जुमा के दिन यह छोटा सा वज़ीफ़ा कीजिए:
सूरह अल-कौसर (سورة الكوثر)
بِسْمِ اللّٰہِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیْمِ
اِنَّاۤ اَعْطَیْنٰكَ الْكَوْثَرَ ﴿۱
فَصَلِّ لِرَبِّكَ وَانْحَرْ ﴿۲
اِنَّ شَانِئَكَ هُوَ الْاَبْتَرُ ﴿۳
कैसे पढ़ना है:
सूरह कौसर को जुमे की नमाज़ के बाद 7 बार पढ़िए
फिर दो रकात नफ़्ल नमाज़ हाजत पढ़िए
इसके बाद दिल से दुआ कीजिए अपने मक़सद के लिए
फिर असर की नमाज़ के बाद भी 7 बार सूरह कौसर पढ़ें और दोबारा दुआ करें
कितने जुमे करना है:
लगातार तीन जुमा तक इस वज़ीफ़ा को करें
हर बार यक़ीन और दिल की हाजिरी से करें
फायदे:
तंगी दूर होगी
रोज़ी में बरकत
रिश्तों में मोहब्बत
दिलों में सुकून
जादू, बंदिश और बला से निजात
नौकरी, कारोबार, औलाद — हर हाजत पूरी होने के दरवाज़े खुलेंगे
शर्त:
यक़ीन के साथ पढ़ें, वज़ीफ़ा के बाद दुआ ज़रूर करें
किसी का दिल न दुखाएं
आख़िरी बात: जुमे का दिन है नेमतों का दिन। अल्लाह को पुकारने का दिन। इस दिन का हक़ अदा कीजिए, और देखिए कैसे अल्लाह आपकी ज़िंदगी बदल देता है।
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जुमे मुबारक!
कब पढ़ना है: जुमा की नमाज़ और असर के बाद
कितनी बार: 7 बार
कितने दिन: लगातार 3 जुमे
क्या करना है: नफ़्ल नमाज़, दुआ, यक़ीन
फायदे: तंगी, बंदिश, मोहब्बत, रोज़ी, औलाद, नौकरी — सब पर असर