

सलातुल हाजत की नमाज़ का मुकम्मल तरीका
दोस्तों अक्सर जब आप लोगों के दिलों में बहुत सारी मुरादें होती हैं, आप उनको पूरा करने के लिए वजीफा और दुआएं पढ़ते हैं तो उन वजीफा की मुद्दत बहुत ज्यादा होती हैं।
कोई वजीफा 48 दिन में मुकम्मल होगा, कोई वजीफा महीने भी लग सकते हैं। लेकिन यहां पर हम आपको बताते चलें की सलातुल हाजत की नमाज एक ऐसा अमल है
जिसको इंसान सिर्फ एक बार अपनी जिंदगी में करता है
और इसको करने के बाद में एक मुराद नहीं। दिल में अगर हजार मुरादें भी हैं तो वह भी सिर्फ एक बार के अमल से पूरी होती है।
आज तक प्यारे दोस्तों ऐसा किसी के साथ भी नहीं हुआ कि उसने सलातुल हाजत की नमाज अदा की और उसकी मुराद पूरी नहीं हुई या उसका मकसद पूरा नहीं हुआ या उसका काम नहीं बना।
खास करके सलातुल हाजत की नमाज तब अदा की जाती है जब हमारी जिंदगी के अंदर कोई बड़ी परेशानी आ जाती है। कोई काम हमारा बिगड़ जाता है
या किसी मुराद की कुबूलियत हमें बहुत कम वक्त में जल्द से जल्द कराना होती है।
तब सलातुल हाजत की नमाज अदा की जाती है।
लेकिन बाज़ लोगों को सलातुल हाजत की नमाज़ का जो मुकम्मल तरीका है, जो सही तरीका है वो मालूम ही नहीं है।
सलातुल हाजत की नमाज़ के बाद में प्यारे दोस्तों एक खास वजीफा भी पढ़ा जाता है जिससे दुआओं की कुबूलियत यानी की मुरादों के पूरा होने की तासीर बढ़ती है।
लिहाजा इस वीडियो के अंदर सलातुल हाजत की नमाज का मुकम्मल तरीका आसान लफ्जों में और उसके बाद पढने का वजीफा आप लोगों के सामने पेश किया जाएगा।
आप सभी लोगों से गुजारिश है अगर आप अपने किसी भी काम को बनाना चाहते हैं चाहे कितना ही मुश्किल काम क्यों ना हो अगर आप लोग अपनी किसी भी हाजत को पूरा करना चाहते हैं।
अगर आप लोग अपने दुनिया के किसी भी बड़े से बड़े मकसद को पूरा करना चाहते हैं तो आप लोग यह सलातुल हाजत की नमाज को जरूर पढ़ें।
यह प्यारे दोस्तों सिर्फ एक रात का अमल आप लोगों की पूरी की पूरी जिंदगी को ही बदल देगा।
यकीन ना आए तो आप लोग इसको जरूर आजमा लें।
आप सभी लोगों से गुजारिश है वीडियो पर एक लाइक जरूर कर दें और सवाब की नियत से इस वीडियो को आगे शेयर भी जरूर करें।
मुख्तसर से लफ्जों में समझा दूं कि इस नमाज को कौन कौन लोग अदा कर सकते हैं।
मेरे प्यारे दोस्तों जो कोई लोग अपने दिल में एक या हजार या लाख मुरादें रखते हों वो इस नमाज को अदा कर सकते हैं।
इंशा अल्लाह तबारक व तआला उनकी सारी मुरादें उनको खुद पूरी होती नजर आएंगी।
अगर कोई इंसान अपने घर में लड़ाई झगड़ों से परेशान रहता है, घर के अन्दर बरकत ना हो, घर में गरीबी बहुत ज्यादा हो तो वो घर के हालात को सुधारने के लिए, अपने मुकद्दर को संवारने के लिए, घर से गरीबी को भगाने के लिए, घर में माल दौलत आने के लिए भी यह नमाज पढ़ सकता है।
- अगर कोई इंसान अपने दुश्मनों से हिफाजत चाहता है तो दुश्मनों की खातिर भी नमाज पढ़ी जा सकती है।
- अगर कोई इंसान कर्ज से निजात चाहता है तो कर्ज के लिए भी नमाज पढ़ी जा सकती है।
- अगर कोई इंसान औलाद पाना चाहता है तो औलाद के खातिर भी नमाज पढ़ी जा सकती है।
- अगर कोई इंसान बीमारियों से शिफा चाहता है तो उसके लिए भी नमाज पढ़ी जा सकती है।
अगर आज की दुनिया की किसी भी किस्म की जरूरत इंसान अपने दिल में रखता हो तो ये नमाज एक बार पढ़े और अपनी जरूरत को पूरा होता हुआ देखे।
प्यारे दोस्तों अब आते हैं अपने मौजू पर। देखिए सलातुल हाजत की नमाज है। वह दो रकात से भी पढ़ी जाती है और चार रकात से भी पढ़ी जाती है।
यानी की इसकी दो रकात भी हैं। चार रकात भी हैं। वह आपके ऊपर डिपेंड करता है। जिस हिसाब से आपके पास वक्त है आप अदा करें।
अगर वक्त कम हैं तो दो रकअत पढ़ ले और अगर ज्यादा वक्त है तो चार रकात पढ़ लें।
सलातुल हाजत की नीयत की बात करते हैं आप लोगों को सबसे पहले बता दिया जाए की यह नमाज़ आप लोगों को पाक साफ हालात में पढ़नी है
और इस नमाज के लिए आप लोगों का वुजू होना, ताजा वुजू होना जरूरी है।
यह दो काम आपके अन्दर मौजूद है वुजू है और आप लोग पाक साफ हैं। अब आप लोग नमाज के लिए खड़े होंगे।
इस नमाज को पढ़ने का कोई वक्त मुकर्रर नहीं है। यह नमाज, नफिल, नमाज है। किसी भी वक्त में पढ़ी जा सकती है।
लेकिन हमारे बुजुर्ग ने इस नमाज को पढ़ने का बेहतर वक्त ईशा की नमाज के बाद ठहराया है।
यानी की रात के आप लोग किसी भी पहर में इस नमाज को पढ़े तो इंशाल्लाह यह आप लोगों के लिए ज्यादा बेहतर रहेगा।
अब आप लोग जानमाज पर खड़े हो जाएं तो सबसे पहले आप लोगों को नियत करना होगी।
नियत में अक्सर लोग कन्फ्यूजन रखते हैं। उनको समझ नहीं आता है की वह किस तरीके से नियत करेंगे।
तो प्यारे दोस्तों यह मैं आप लोगों की आसानी के लिए बता दूं की नियत जो है वह दिल के इरादे का नाम होती है लेकिन लफ्जों से कह लेना बेहतर होता है।
हम यहां पर चार रकआत नमाज की नीयत आप लोगों को बता रहे हैं इसको समझिए
नीयत की। मैने चार रकआत नमाज़े हाजत की नफिल वास्ते अल्लाह तआला के, वक्त मौजूदा,रुख यानी कि मुँह मेरा काबा शरीफ की तरफ़ अल्लाहु अकबर।
जैसे ही आप लोग हाथ बाँध लें उसके बाद में एक मर्तबा सना यानी कि सुब्हाना पढ़े।
फिर आप लोग आऊजू और बिस्मिल्लाह शरीफ को पढ़े और उसके बाद में एक बार आप लोग सूरह फातिहा यानी कि अलहम्दू शरीफ को पूरा पढ़े हैं।
पहली रकात में ही आप लोगों को अब यहाँ पर सूरह फातिहा यानि कि अलहम्दू शरीफ के बाद में तीन बार तो अयतुलकुर्सी को पढ़ना है। अतुलकुर्सी तीन बार पढ़ने के बाद में आप लोग अल्लाहु अकबर कहते हुए रुकू में जाएंगे।
रुकू में कम से कम तीन या पाँच मर्तबा आप लोग सुब्हानरब्बीयल अजीम पढ़ेंगे।
उसके बाद आप लोग समी अल्लाहु लेमन हमीदा कहते हुए रवाना वलकल हम्द बोलेंगे और फिर आप लोग फौरन सजदे में चले जाएंगे।
सजदे में जाने के बाद में आप लोगों को तीन या पाँच मर्तबा सुब्हान रब्बीयल आला पढ़ना है फिर आप लोग अल्लाह हु अकबर कहते हुए उठेंगे दुसरे सजदे में जायेंगे।
दूसरे सजदे में भी तीन या पाँच बार सुब्हान रब्बीयल आला पढना है। उसके बाद अल्लाह हु अकबर कहते हुए आप लोग खड़े हो जाएंगे।
अब आप लोगों की यह दूसरी रकात आ गई। दूसरी रकात में प्यारे अजीज दोस्तों आप लोग पढ़े बिस्मिल्लाह शरीफ को पढ़े।
उसके बाद एक मर्तबा आप लोग सूरह फातिहा यानी की अलहम्दू शरीफ को पढ़े।
उसके बाद में आप लोगों को यहां पर एक बार सूरह इखलास यानी की कुल्हुवल्लाह शरीफ पढ़ना है।
ध्यान रहे की पहली रकआत में तीन बार आयतुकुर्सी पढ़ी थी। दूसरी रकात में एक बार सूरह इखलास पढ़ना है
फिर वैसे ही रुकू करें, सजदा करें।
अब यहां पर यह दूसरी रकात है। कायदे में बैठ जाएं और अत्तहियात पढ़ें।
और अल्लाहुअकबर कहते हुए तीसरी रकात के लिए खड़े हो जाएं।
तीसरी रकात में आप लोग सबसे पहले बिस्मिल्लाह शरीफ पढ़े
और एक मर्तबा सूरह फातिहा यानी कि अल्हम्दुलिल्लाह पढ़े।
अलहम्दू शरीफ पढ़ने के बाद में आप लोग कोई भी एक बार कोई भी सूरह पढ़ ले चाहे तो आप लोग फिर से कुल्हुवल्लाह शरीफ यानी की सूरा इखलास पढ़ ले।
फिर आप लोग रुकू करें, सजदा करें।
प्यारे दोस्तों फिर अल्लाह हु अकबर कहते हुए चौथी रकात के लिए खड़े हो जाए।
चौथी रकात में फिर आप लोग आऊज़ू और बिस्मिल्लाह शरीफ पढ़े
और एक बार सूरह फातेहा यानी की शरीफ को पढ़े।
फिर आप लोग एक मर्तबा कोई सी भी सूरह मिला ले चाहे तो सूरह कौसर पढ़ ले
या आप चाहे तो तीसरी और चौथी रकात में भी आप लोग एक मर्तबा कुल्हुवल्लाह शरीफ यानि कि सूरह इखलास पढ़ ले। रुकू करेंगे, सजदा करेंगे।
चौथी रकात है कायदे में बैठ जाएं।
अतिहययात पढ़ें, दुरूद ए इब्राहिम पढ़े और आप लोग रब बना देना पढ़ कर सलाम फेर लें।
यह आप लोगो की चार रकअत सलात उल हाजत की नमाज मुकम्मल हुई। अब इसके बाद में प्यारे दोस्तों जैसे ही नमाज मुकम्मल होगी,
फौरन आप लोग उसी जगह बैठे बैठे ही कम से कम 21 बार जलाली आयते करीमा को पढ़े।
यानी कि लाइलाह इल्लाह अन्ता सुब्हानाका इन्नी कुन्तु मिनज़-ज़ुआलेमीन
इसको पढ़ने के बाद में अब आप लोगों का यहां पर सारा का सारा काम सलातुल हाजत की नमाज और सलातुल हाजत की नमाज के बाद का खास वजीफा मुकम्मल हुआ।
अब आप लोगों को कुछ नहीं करना है चाहे तो आप लोग अपनी मुराद को अपने लफ्जों से बयान कर सकते हैं यानी कि लफ्जों से अल्लाह तबारक व तआला से मांग सकते हैं।
लेकिन मेरे प्यारे दोस्तों मेरा यह कामिल यकीन कहता है कि आप लोग अगर उस वक्त में कुछ मांगे भी ना तो आपके दिल में चल रही तमाम मुरादों को अल्लाह तबारक व तआला पुरी फरमा देगा।
इस नमाज के जरिए प्यारे दोस्तों लोगों की सिर्फ एक हाजत पूरी नहीं होती है। उनके दिल में चल रही तमाम। अगर हजार लाखों मुरादें भी इंसान। रखता है, ऐसा मुमकिन तो नहीं है कि किसी की 1 लाख मुरादें हो। लेकिन यह अमल ऐसा है। प्यारे दोस्तों जिसकी कोई लिमिट ही नहीं है, जिसमें इंसान की मुरादों की कोई लिमिट नहीं है,
कितनी भी मुरादें अपने दिल में रखता हो, अल्लाह तबारक व तआला पूरी फरमा देता है। यह अमल की तासीर है। ये इस अमल की खासियत है।
यानी कि सलातुल हाजत की नमाज पढ़ने वाला इंसान किसी भी किस्म की कितनी भी ज्यादा हाजत रखता हो, अल्लाह तबारक व ताला उसकी हाजतों को पुरा फरमाता है।
मैं उम्मीद करता हूं प्यारे दोस्तों यह आसान से लफ्जों में आप लोगों को चार रकअत नमाज़ सलात उल हाजत की जो मुकम्मल तरीका बताया सब कुछ आपको समझ आया होगा। अगर फिर भी आप लोगों के कुछ समझ नहीं आया है तो आप लोग कमेंट करके पूछ सकते हैं। इंशा अल्लाह तबारक व ताला आपके कमेंट का जवाब आपको जरूर दिया जाएगा। वीडियो पर एक लाइक जरूर कर दें और सवाब की नियत से वीडियो को आगे शेयर भी जरूर करें। अस्सलाम वालेकुम रहमतुल्लाह बरकत।
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