अस्सलामु अलैकुम वरहमतुल्लाही व बरकातुह

प्यारे दोस्तों,
आज की इस खास वीडियो में हम आपको बताने जा रहे हैं या अल्लाह या अल्लाह या अल्लाह वज़ीफ़े की ऐसी ताक़त और ऐसी फ़ज़ीलत, जो न सिर्फ़ आपकी ज़िंदगी को बदल सकती है, बल्कि आपके दिल को भी चैन और सुकून से भर देगी। ये कोई आम वीडियो नहीं, बल्कि एक ऐसा अमल है जो कुरआन और हदीस की रौशनी में बताया गया है और जिसे अगर आपने सही नियत और यकीन के साथ कर लिया, तो इंशा अल्लाह आपकी परेशानियाँ दूर हो जाएँगी।
लेकिन एक बात ध्यान से सुन लीजिए: इस वीडियो में हम आपको वज़ीफ़ा करने का पूरा तरीका बताएँगे — कि कब करना है, कितनी बार पढ़ना है, कैसे पढ़ना है, और किन बातों का ख़ास ख्याल रखना है। इसलिए वीडियो को आखिर तक ज़रूर देखें, ताकि आप हर बात को अच्छे से समझ सकें।
पहला अमल – सुबह और शाम 7 मर्तबा जो शख्स सुबह और शाम “या अल्लाह या अल्लाह या अल्लाह” सिर्फ़ 7 मर्तबा पढ़ ले, और उसके बाद अपने ऊपर दम कर ले (यानि फूँक ले), तो इंशा अल्लाह तआला वह शख्स बुरी नज़रों, शैतानी असरात, और हर बला से महफूज़ रहेगा।
सुबह को फज्र की नमाज़ के बाद और शाम को इशा की नमाज़ के बाद करें। यह अमल बहुत छोटा है लेकिन इसका असर बहुत बड़ा है। इसे अपनी ज़िंदगी का रूटीन बना लीजिए और देखिए कैसे अल्लाह तआला आपको हर मुसीबत से बचा लेंगे।
दूसरा अमल – दिन में 11 मर्तबा जो शख्स “या अल्लाह या अल्लाह या अल्लाह” को दिन में किसी भी वक्त 11 मर्तबा पढ़ ले और उसके बाद अपने ऊपर दम कर ले, तो इंशा अल्लाह उस शख्स को किसी भी बीमारी से शिफा मिलेगी।
चाहे वो बीमारी छोटी हो या बड़ी, जिस्मानी हो या रूहानी — इस वज़ीफ़े की बरकत से अल्लाह तआला उस शख्स की सेहत को बेहतर करेंगे, और उसके दिल को इत्मीनान देंगे। ये अमल बहुत आसान है, मगर असर उसमें बहुत ज़्यादा है।
तीसरा अमल – 108 मर्तबा, दुआ के साथ अगर कोई शख्स “या अल्लाह या अल्लाह या अल्लाह” को दिन में किसी भी वक्त 108 मर्तबा पढ़े — लेकिन इस अमल को शुरू करने से पहले और आखिर में तीन-तीन मर्तबा दुरूद-ए-पाक ज़रूर पढ़े — और फिर रो-रो कर, गिड़गिड़ाकर अल्लाह से अपनी हलाल और नेक हाजत के लिए दुआ करे, तो इंशा अल्लाह उसकी हर जायज़ दुआ कुबूल हो जाएगी।
इस अमल को लगातार 11 दिन तक करें, और देखिए कैसे आपके बंद दरवाज़े खुलने लगते हैं। इस अमल में एक शर्त है — यकीन और सब्र। और सबसे बड़ी चीज़ — अल्लाह से पूरी तवज्जोह के साथ दुआ माँगना। चाहे दिन में करें या रात में, जब भी वक्त मिले, तस्सली से करें।
वज़ीफ़ा करने का तरीका (हर अमल के लिए जरूरी):
- अमल शुरू करने से पहले 3 बार दुरूद-ए-पाक पढ़ें।
- फिर “या अल्लाह या अल्लाह या अल्लाह” को बताई गई तादाद में पढ़ें।
- आखिर में फिर से 3 बार दुरूद-ए-पाक पढ़ें।
- उसके बाद अपने ऊपर दम करें और अल्लाह से दुआ माँगें।
आख़िर में एक प्यारी सी गुज़ारिश: अगर ये अमल आपको अच्छा लगा, तो इसे सिर्फ़ अपने तक मत रखिए। इसे आगे शेयर कीजिए — क्या पता किसी एक बंदे की ज़िंदगी आपकी वजह से बदल जाए।
वज़ीफ़ा पावर चैनल को सब्सक्राइब ज़रूर करें, क्योंकि यहाँ आपको मिलते हैं ऐसे असरदार और मुज़र्रब वज़ीफ़े, सिर्फ़ और सिर्फ़ इस्लाम की रौशनी में, ताकि आपकी ज़िंदगी बेहतर हो सके।
वीडियो को लाइक करें, शेयर करें और दुआओं में याद रखें।
आख़िर में, बस एक दुआ: “या अल्लाह! जो भी इस वज़ीफ़े को यकीन और मोहब्बत के साथ पढ़े, उसकी हर मुश्किल आसान कर दे, उसके दिल को सुकून दे और उसकी ज़िंदगी को रहमतों से भर दे। आमीन – آمین।”